RSS

Blog

इन 5 चीजों से करें अपनी बॉडी को डिटॉक्स, रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ने के साथ निखरेगी त्वचा

लॉकडाउन में रूटीन ठीक न होने की वजह से कई छोटी-छोटी परेशानियां होने लगती हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है अनहेल्दी फूड्स का ज्यादा सेवन करना। ऐसे में ज्यादा तली-भुनी चीजें खाने के बाद बॉडी को डिटॉक्स (detox) करना बहुत जरूरी है, जिससे कि शरीर के अपशिष्ट पदार्थ को बाहर निकाला जा सके। हम आपको ऐसे नेचुरल डिटॉक्सर बता रहे हैं, जिन्हें आपको अपनी डाइट में शामिल करना चाहिए-

क्या है डिटॉक्सीफिकेशन
अपने शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालने की प्रक्रिया को डिटॉक्सीफिकेशन कहते हैं। यह आपको बीमारियों से बचाने के साथ शरीर के हीलिंग सिस्टम को यह प्रक्रिया मजबूत बनाती है।

नेचुरल डिटॉक्सर :-

खीरे-टमाटर का शर्बत
गर्मियों के मौसम में खीरा और टमाटर तो लगभग हर घर में होता है। आप खीरे और टमाटर को बारीक काटकर दही में मिलाकर नमक और बर्फ के साथ पी सकते हैं। खीरे में विटामिन ए, सी, और के होने के अलावा पोटेशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। वहीं, टमाटर में विटामिन ए, सी और एंटीऑक्सीडेंट होता है।


छाछ
भारतीय घरों में गर्मी के दौरान छाछ पी जाती है। छाछ दूध से बनी होती है और इसमें कैल्शियम, राइबोफ्लेविन, प्रोटीन जैसे स्वास्थ्यवर्धक पोषक तत्व पर्याप्त मात्रा में होते हैं। छाछ पीने से डिहाइड्रेशन और कब्ज की समस्या नहीं होती इसलिए गर्मियों में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए छाछ पीना फायदेमंद होता है।

नारियल पानी
शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए साधारण पानी की जगह नारियल पानी एक बेहतर विकल्प होता है। यह विटामिन ई से भरपूर है। खुद को हाइड्रेट और स्वस्थ रखने के लिए आप रोजाना नारियल पानी पिएं।

नींबू पानी
नींबू पानी में विटामिन सी होता है जो कि बीमारियों से बचाने के लिए एंटीऑक्सीडेंट होता है साथ ही यह शरीर को हाइड्रेट भी रखता है। इसलिए गर्मियों में नींबू पानी पीना सेहत के लिए फायदेमंद होता है।

मिंट ड्रिक
आप पुदीने की पत्तियों को पीसकर उसे मिर्च और नमक के साथ ठंडे पानी में पी सकते हैं। पुदीने में एंटीऑक्सीडेंट है, इसके अलावा इसमें विटामिन सी, आयरन और विटामिन 'ए' भरपूर मात्रा में होता है।

लॉकडाउन ने कर दिया है मुंह का जायका खराब तो ट्राई करें ये चटपटी गोलगप्पा

लॉकडाउन की वजह से लोगों की जिंदगी में ब्रेक लग गया है। ऐसे में अब घरों में बैठे लोग अपनी बोरियत दूर करने के लिए अपने-अपने घरों में कई तरह के व्यंजन ट्राई कर रहे हैं। ऐसे में अगर आपके मन में भी यह ख्याल आ रहा है कि चटपटे गोलगप्पों को खाए कितने दिन हो गए। तो स्वाद में लजीज गोलगप्पे आप चाहें तो घर पर भी बना सकती हैं। शाम को ठंडा-ठंडा चटपटा पानी और कुरकुरे से गोलगप्पे खाकर परिवार का तो दिन ही बन जाएगा। तो देर किस बात की आइए जानते हैं कैसे बनाए जाते हैं मजेदार चटपटे गोलगप्पे।


 
1-आधा कप मैदा में एक कप सूजी, दो चम्मच तेल, चुटकी भर खाने का सोडा डालें और हल्का सख्त गूंथ लें। इसे ढककर रख दें। 5 मिनट बाद इसकी छोटी लोई बनाकर अंडाकार बेलें। ऐसे ही सारे बेलें और एक कड़ाही में तेल को तेज आंच पर गर्म कर गोल गप्पे धीमी आंच पर सुनहरा होने तक पलट कर तल लें और फिर निकाल कर ठंडा होने दें।

2-भरावन के लिए पीली मटर उबालकर उसमें हल्का सा नमक मिलाकर रख लें। या फिर उबले आलू और थोड़े उबले काले चने का इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें हल्का सा नमक मिलाकर रखें। इसमें ऊपर से स्वादानुसार मिर्च भी मिला सकती हैं।

3-पानी के लिए एक बर्तन में खटाई का पेस्ट, एक छोटा चम्मच भूना जीरा पाउडर, एक छोटा चम्मच काला नमक, सफेद नमक, आधा छोटा चम्मच सौंफ पाउडर, आधा छोटा चम्मच इलायची पाउडर और एक लीटर पानी डालकर मिलाएं। 100 ग्राम हरा धनिया, 4 हरी मिर्च, डेढ़ इंच अदरक का टुकड़ा, थोड़ा पुदीने का बारीक पेस्ट बनाएंऔर पानी में मिलाएं।

4-पानी में थोड़ी सी बूंदी मिला सकते हैं। साथ ही गोलगप्पों को मटर की भरावन और इमली की मीठी चटनी और दही के साथ भी खा सकते हैं। पानी को ठंडा करने के लिए उसमें बर्फ मिलाएं।

रोज सुबह खाएं बस 5 मखाने, मिलेंगे ये फायदे

मखाना को आप नियमित रूप से स्नैक के रूप में भी खा सकते हैं।

मखानों का सेवन आपने किसी ना किसी व्यंजन के रूप में जरूर किया होगा। आमतौर पर यह किचन में या कुछ लोगों की ऑफिस डेस्क पर भी देखने को मिल जाता है। कई लोग इसका नियमित रूप से सेवन करते हैं जिसके सेहत से जुड़े कई सारी फायदे भी हैं। आप इसे चाहे तो सुबह नाश्ते के रूप में या फिर शाम को स्नैक्स के रूप में इसे खा सकते हैं। मखाना ना केवल स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि इसको खाने से आप नीचे बताई जा रही बीमारियों से भी बचे रहेंगे।

हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से राहत 

जिन लोगों को हाई ब्लड प्रेशरकी समस्या है उन्हें मखानों का सेवन नियमित रूप से करना चाहिए। यह न केवल उनके ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखेगा बल्कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर के कारण होने वाले जोखिम से भी सुरक्षा प्रदान करेगा। दरअसल, मखाने में मैग्नीशियम की मात्रा पाई जाती है। यह एक ऐसा मिनरल है जो शरीर के ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने में मददगार साबित होता है।
हड्डियों को मजबूत बनाने में
बुजुर्ग लोग दिन में दो बार मखाने का सेवन कर सकते हैं। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इसमें कैल्शियम की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। यह बढ़ती उम्र के साथ हड्डियों को कमजोर होने से बचाने में काफी मददगार साबित होगा। जबकि अन्य आयु वर्ग के लोग भी इसे हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए एक लाभदायक खाद्य पदार्थ के रूप में खा सकते हैं।
खून की कमी नहीं होगी
जिन लोगों के शरीर में खून की कमी हो जाती है वह अक्सर दिनभर थका हुआ महसूस करते हैं। ऐसा माना जाता है कि यह खून की कमी का शुरुआती लक्षण है। वहीं, मखाने में पर्याप्त रूप से आयरन की मात्रा पाई जाती है। मखाने के जरिए आयरन का सेवन करने के कारण शरीर में खून की कमी का खतरा काफी हद तक कम हो जाएगा।
डायबिटीज के मरीजों के लिए
डायबिटीज से जूझ रहे लोग भी मखाने का सेवन कर सकते हैं। के अनुसार मखानों में लो ग्लाईसेमिक इंडेक्स होता है। यह एक ऐसा गुण है जो डायबिटीज के कारण होने वाले जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय रूप से मदद करता है। इसलिए अगर आपके घर में भी कोई डायबिटीज से पीड़ित है तो उसे मखाने का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।
एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर
मखाने का सेवन करने वाले लोगों के शरीर में एंटीऑक्सीडेंट की भी मात्र पर्याप्त रूप से पहुंचेगी। ऐसा इसलिए मुमकिन हो सकता है क्योंकि एक वैज्ञानिक रिसर्च के अनुसार मखाने में एंटीऑक्सीडेंट की पर्याप्त मात्रा पाई जाती है। एंटी ऑक्सीडेंट मुख्य रूप से हमारे शरीर की त्वचा को निखारने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने का कार्य करता है।
कटहल खाने के ये हैं 10 अनूठे फायदे

कटहल आकार में सबसे बड़ा फल माना जाता है. कच्चे कटहल से अचार या सब्जी बनाया जाता है. वहीँ पकने पर इसमें से निकलने वाले कोवा को लोग इसे चाव से खाते हैं क्योंकि ये स्वाद में मीठा होता है. इसके बीज बड़े पैमाने पर स्टार्च और प्रोटीन से बने होते हैं. यह फल एशियाई देशों में लोकप्रिय है और ज्यादातर गर्मियों के दौरान होता है. फल के बाहरी सतह पर छोटे-छोटे काँटे होते हैं हलांकि ये कम चुभने वाले होते हैं. पके हुए कटहल के बीजों को भी खाया जाता है. इसमें विटामिन ए, सी और बी 6, कैल्शियम, पोटेशियम, लोहा, फोलिक एसिड, थायामिन, रिबोफ़्लविन, नियासिन और मैग्नीशियम जैसे कई महत्वपूर्ण पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसके अलावा ये आहार फाइबर में भी समृद्ध है और इसमें कैल्विन, एक्सथिन, ल्यूतिन और क्रिप्टोक्सैथिन जैसे फ्लवोनॉइड पिगमेंट्स की एक महत्वपूर्ण मात्रा है.

कटहल एक ट्रॉपिकल फल है जो गर्म और तटीय जगह पर उगाए जाते हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ- साथ सेहतमंद भी होते हैं। कटहल के फायदे इसको कच्चा या पक्का दोनों तरीके से बीज के साथ खाने से मिलते हैं। कच्चे कटहल को आप पका कर करी बना सकते हैं और यह दिखने में चिकन से मिलता- झुलता लगता है। इस कारण से कटहल को वेजिटेबल मीट के नाम से भी जाना जाता है। अगली बार जब आपको मार्किट में कटहल दिखाई दे तो इसे खरीदते में हिचकिचाना नहीं है। क्या आप पता है पूरी दुनिया में कटहल का पेड़ ऐसा है जिसपर सबसे बड़ा फल उगाया जाता है ? इसको अच्छे से काटें और इसकी मिठास को मज़े से खाएं जो साथ में सेहत लेकर आता है।

आइए इसके फायदे और नुकसान को विस्तार से जानें.

1. दृष्टि में सुधार (आंखों के लिए अच्छा)

कटहल में मौजूद विटामिन ए आंखों के लिए एक जरुरी पोषक तत्व है. यह सुधार करके मोतियाबिंद, रतौंधी, धब्बेदार अध: पतन आदि को रोकने में मदद करता है. विटामिन ए श्लेष्म झिल्ली को भी मजबूत करने में मदद करता है. कटहल में विटामिन सी स्वस्थ केशिका को बढ़ावा देता है और रेटिना कोशिकाओं के उचित कार्य को बनाए रखने में मदद करता है. इसमें ल्यूटिन और ज़ेक्सैथीन भी शामिल हैं जो आंखों के लिए अच्छे हैं.

कटहल खाने से फायदा यह होता है कि आपको विटामिन ए भरपूर मात्रा में मिलता है जो आंखों के लिए बहुत लाभदायक होता है। जो लोग जवानी से ही कटहल खाना शुरु कर देते हैं उन लोगों को आंखों की बीमारी होने के कम आसार होते हैं। इसके अलावा बुढ़ापे में भी आंखें जल्दी से कमज़ोर नहीं होती हैं। कटहल में मौजूद बीटा कैरोटीन आंखों को जरुरी आहार देता है और बैक्टीरियल इंफेक्शन, सूजन और खतरनाक लाइट रेज़ से दूर रखने में मदद करता है।


2. ब्लड प्रेशर को नियंत्रित (ब्लड शुगर कंट्रोल रहता है)

इसकी विटामिन सी सामग्री मुक्त कणों के हानिकारक प्रभावों को दूर करके हृदय रोग के जोखिम को कम करती है. इसके अलावा इसकी पोटेशियम सामग्री शरीर में सोडियम स्तर को नियंत्रित करके रक्तचाप को नियमित करती है. उच्च सोडियम रक्तचाप में वृद्धि कर सकता है. पोटेशियम भी हृदय की मांसपेशियों को मजबूत और नियंत्रित करने में मदद करता है.

कटहल खाने से फाइबर का सेवन किया जाता है। शरीर के द्वारा फाइबर को आसानी से बिना ब्लड शुगर लेवल को बिगाढ़े पचाया जा सकता है। कटहल खाने से ग्लाइसेमिक सूची कम बनी रहती है जिससे ब्लड शुगर में अचानक से उतार- चढ़ान नहीं होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि इसमें फ्लेवनोन नाम का एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है जो ब्लड शुगर लेवल को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है।

एक अध्ययन के अनुसार जो लोग कटहल का रस पीते हैं उन लोगों के ब्लड टेस्ट में शुगर लेवल सामान्य है। चूहों पर किए गए अध्ययन में भी यह साबित हुआ है। कटहल के फायदे में से एक है कि प्रोटीन की मात्रा ज्यादा होने से ब्लड शुगर लेवल सामान्य बना रहता है।


3. प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत (इन्यूनिटी में सुधार)

ये सफेद रक्त कोशिकाओं के कार्य का समर्थन करके आपकी प्रतिरक्षा को बढ़ावा देता है. यह एंटीऑक्सिडेंट भी शरीर में मुक्त कणों को निष्क्रिय करने में मदद करता है. यह सामान्य बीमारियों को रोकने में मदद करता है जैसे कि खांसी, सर्दी और फ्लू.

कटहल खाने के फायदे में से एक है कि इसमें विटामिन सी पाया जाता है जो इम्यूनिटी को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है। शरीर में विटामिन सी होने से सूजन, खराब सेल, किसी प्रकार का कैंसर, दिल की बीमारी होने के कम आसार होते हैं। कटहल में कैरोटीनॉयड पाया जाता है जो शरीर को फ्री रेडिकल से बचाव करने में मदद करते हैं। इसके साथ ही टाइप 2 डायबटीज और दिल की बीमारी होने के आसार कम हो जाते हैं।

फ्लेवनोन एक तरह के एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो ऑक्सीडेटिव तनाव के कारण हुए नुकसान को कम करने में मदद करते हैं। ब्लड शुगर, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल को सामान्य बनाए रखने में मदद करते हैं जिससे दिल की बीमारी से बचाव रहता है। कई सारी बीमारी से बचाव करने के कारण कटहल खाने के फायदे से इन्यूनिट सिस्टम स्ट्रोंग बना रहता है।


4. बचाएँ कब्ज से
कटहल में मौजूद आहार फाइबर आपके मल को नरम बनाता है. इससे आँतो के कार्यों को नियंत्रित करने और कब्ज को रोकने में मदद मिलती है. कटहल, पाचन तंत्र को साफ रखने में मदद करता है और आंतों में अपशिष्ट उत्पादों के निर्माण को रोकता है.


5. त्वचा स्वास्थ्य के लिए
इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण उच्च-आक्सीकारक तनाव और प्रदूषण के कारण मुक्त-कणों की क्षति को रोकते हैं. बदले में यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं जिससे झुर्रियां, फाइन लाइन्स और सूखेपन की उपस्थिति कम हो जाती है. इसके अलावा, यह उच्च मात्रा में पानी की वजह से त्वचा की नमी को बनाए रखता है.


6. लोहे की कमी को पूरा
इसमें लोहा भरपूर मात्रा में पाया जाता है जो लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को बढ़ाता है. इसकी उच्च विटामिन सी सामग्री शरीर में लोहे का अवशोषण भी सुधारती है. अन्य खनिज जैसे तांबे और मैग्नीशियम रक्त की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद करते हैं. पोषण प्रदान करने के अतिरिक्त, यह रक्त की आपूर्ति को पूरे शरीर में ऑक्सीजन के द्वारा पूरी करने में मदद करता है.


7. कैंसर के जोखिम को कम
कटहल कैंसर से लड़ने वाले फ़िटेन्यूमेंट्स और एंटीऑक्सिडेंट्स में समृद्ध है. यह कुछ कैंसर जैसे मौखिक, कोलन और त्वचा कैंसर के विकास को रोकने में मदद कर सकता है. इसमें मौजूद विटामिन सी मुक्त कण को ख़त्म करता है. ये कैंसर का कारण बन सकते हैं. इसमें विटामिन के, मैंगनीज और आहार फाइबर भी शामिल हैं.


8. बढ़ाएँ शरीर का ऊर्जा स्तर
कटहल में मौजूद फ्रक्टोज और सुक्रोज़ जैसे सरल शर्करा शामिल हैं जो रक्त में शर्करा के स्तर को प्रभावित किए बिना आपके शरीर में त्वरित ऊर्जा को प्रोत्साहित करते हैं. इसकी ख़ास बात ये है कि इसमें संतृप्त वसा या कोलेस्ट्रॉल शामिल नहीं है. यह तेजी से कैलोरी को बर्न करने में मदद करता है.


9. हड्डियों को मजबूत
कटहल मैग्नीशियम से समृद्ध है. ये एक ऐसा पोषक तत्व है जो कैल्शियम के अवशोषण में मदद करता है. मैग्नीशियम और कैल्शियम हड्डियों को मजबूत करने के लिए एक साथ काम करते हैं. ये ऑस्टियोपोरोसिस जैसी बीमारियों को रोकते हैं.


10. थायराइड से निपटने में मदद (थायराइड हार्मोन को बैलेंस रखते हैं)

कटहल में मौजूद तांबा थायराइड के चयापचय में मुख्य रूप से भूमिका निभाता है, मुख्य रूप से हार्मोन उत्पादन और अवशोषण में. ये हाइपोथायरायडिज्म से निपटने में मदद करता है, क्योंकि इसमें विटामिन बी शामिल हैं. विटामिन बी भी स्वस्थ थायराइड कार्यों के लिए महत्वपूर्ण हैं और विकार के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं.

कटहल में मौजूद कोपर इस बात का ध्यान रखता है कि थायराइड हार्मोन का बैलेंस बना रहे। कटहल के द्वारा थायराइड हार्मोन का मेटाबोल्जिम रेट कंट्रोल में रहता है। इसको खाने से थायराइड से जुड़ी बीमारी जैसे कि हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) या अतिगलग्रंथिता (hyperthyroidism) जैसी बीमारी दूर रहती हैं।

11. आंत को स्वस्थ रखने में मदद

कटहल खाने के फायदे से आपको कभी भी पाचन शक्ति में परेशानी नहीं आएगी क्योंकि फाइबर का सेवन का यह अच्छा आधार है। इसमें आपको सोल्यूबल और इनसोल्यूबल फाइबर मिलेंगे जो टोक्सिन को अपके शरीर के बाहर निकालेंगे साथ ही आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करेंगे। रोजाना कटहल खाने से आपको पेट में सूजन, गैस, कब्ज, जलन जैसी दिक्कत नहीं होगी।

12. स्वस्थ दिल

कटहल में पोटेशियम पाया जाता है यह ऐसा मिनरल है जिसको दिल की मांसपेशियों को सामान्य बनाए रखने में मदद करता है। शरीर में पोटेशियम की कमी होने से सोडियम का बैलेंस बिगढ़ सकता है जिससे खतरनाक बीमारी जैसे कि याददाश्त खोना, धमनियों में रुकावट (blockage of arteries) आदि बीमारी हो सकती हैं। पोटेशियम इन टिश्शू को शरीर में आने से रोकते हैं और दिल को अच्छे से काम करने में मदद करते हैं।

13. अपच (Indigestion) से लड़ने में मदद करता है

क्या आप अपच और कब्ज के लिए प्राकृतिक इलाज ढूंढ रहे हैं? कटहल के बीज आपकी मदद कर सकते हैं। आपको बस कटहल के बीज को दो दिन तक धूप में सुखना है और फिर मिक्सर में बीज को पीसकर पाउडर बनाना है। यह पाउडर फाइबर से भरपूर है जो आपको अपच और कब्ज की परेशानी से कोसो दूर रखेगा।

पोष्टिक आहार से भरपूर

एक कप कटहल खाने से आपको 150 कैलोरी मिलती है। लेकिन यह सेहतमंद आहार हैं जिससे आपका पेट लंबे समय के लिए भरा रहता है और पूरे दिन एनर्जी मिलती है। कटहल के फायदे कई सारे हैं और इससे आपको कई सारे पोष्टिक आहार भी मिलते हैं जैसे कि कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, फाइबर, विटामिन ए और सी, कोपर, पोटेशियम, मैंगनीज, मैग्नीशियम और राइबोफ्लेविन।

एक कप सेब का आपको 1 ग्राम प्रोटीन देता है और वहीं एक कप कटहल आपको 3 ग्राम प्रोटीन देता है। यही कारण है जिससे आपको अपनी मांसपेशियों और एनर्जी लेवल में बदलाव मिलेगा जब आप कटहल का सेवन करना शुरु कर देंगे। कटहल के फायदे प्राप्त करने के लिए आज इसे अपनी डाइट में शामिल करें।

कटहल के बीज के फायदे

कटहल एक ऐसा फल है जिसके बीज को भी खाया जा सकता है। कटहल के फायदे इसके फल और बीज दोनों से मिलते हैं। भारत के हिस्सों में कटहल के बीज को अलग से पकाया जाता है या फिर आलू के साथ भी स्वादिष्ट डिश बनाने के लिए पकाया जाता है। नीचे से कटहल के बीज खाने के फायदे के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं-

 जवान दिखने में मदद

अभी आपने कटहल खाने के फायदे के बारे में पढ़ा है अब आप कटहल के बीज के फायदे के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लें। कटहल के बीज में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट शरीर में टोक्सिन और फ्री रेडिकल के द्वारा किए गए नुकसान को ठीक करने में मदद करता है। कटहल के बीज खाने के फायदे चेहरे से भी जुड़े हुए हैं। कटहल के बीज को दूध के मिक्स कर चेहरे पर हफ्ते में अक बार लगाने से निखार आ जाता है। यह फेस पैक झुर्रियाँ, महीन रेखाएँ, त्वचा में झनझनाहट और अन्य उम्र बढ़ने के लक्षण को कम करने में मदद करता है।

 रक्ताल्पता (Anemia) से दूर रखने में मदद

कटहल, आयरन से भरपूर होता है जो आपको रक्ताल्पता (Anemia) जैसी बीमारी से दूर रखने में मदद करता है। लेकिन ऐसा सिर्फ तभी होगा जब आप कटहल का सेवन रोजाना करेंगे। कटहल के बीज आपके खून की क्वालिटी को सुधारते हैं और दिल, दिमाग जैसे जरुरी अंगों को अच्छे से काम करने में मदद भी करते हैं।

कटहल से जुड़ी जरुरी बातें

कटहल के फायदे तो कई सारे इसलिए आपको इससे जुड़ी कुछ बातों का पता होना चाहिए। अगर आपको सन्टी पराग (birch pollen) से एलर्जी है तो हो सकता है कि आपको कटहल से भी एलर्जी हो। इसलिए बेहतर है कि आप कटहल का सेवन न ही करें। इससे अच्छा है कि कटहल का सेवन करने से पहले आप एलर्जी टेस्ट करवाएं उसके बाद ही इसको अपनी डाइट में शामिल करें।

आखिर में

कटहल के फायदे के कारण इसको डाइट में शामिल करना बेहद आसान है। अगर आपको इसकी मिठास पसंद नहीं है तो आपको इसका चिकन जैसा टैक्शर जरुर पसंद आएगा। कटहल खाने के फायदे इसको कच्चा या फिर पका हुआ दोनों से ही मिलते हैं। त्योहार के समय कटहल को गुड़ के साथ मिलाकर एक तरह का डेजर्ट भी बनाते हैं।

कटहल की पत्तियों और बीजों में दवाई की खूबी होती है। इस कारण से कटहल के बीज को आयुर्वेद में प्राकृतिक उपाय के लिए कई बीमारी को ठीक करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कटहल का पेड़ अधिकतर साउथ इंडिया में उगाया जाता है लेकिन यह पूरे देश में आसानी से मिल जाता है। कटहल के फायदे के साथ- साथ कटहल के बीज के फायदे भी मिलते हैं। इस फल को अपनी जिंदगी में शामिल करें और स्वस्थ जीवन की शुरुआत करें।

  1. कटहल खाने के क्या फायदे हैं? (What are the benefits of eating jackfruit?)

    कटहल में कई सारे पोष्टिक आहार पाए जाते हैं तो मानव शरीर के लिए लाभदायक है। कटहल में विटामिन सी, पोटैशियम, डाइटरी फाइबर, विटामिन और मिनरल्स पाए जाते हैं। इन सभी पोष्टिक तत्व के कारण कटहल के फायदे बढ़ जाते हैं।

  2. कटहल खाने के क्या नुकसान हैं? (Why jackfruit is bad for humans?)

    लोगों को किसी भी चीज से एलर्जी हो सकती है। वैसे ही कटहल से भी एलर्जी हो सकती है। कटहल से एलर्जी होने पर ब्लड शुगर लेवल कम हो सकता है, डायबिटीज से गुजर रहे लोग कटहल को डाइट में शामिल करने से पहले एक बार डॉक्टर से सलाह जरुर लें।

  3. क्या कटहल वजन कम करने के लिए अच्छा है? (Is jackfruit good for weight loss?)

    अगर आप वजन कम करने की राह पर हैं तो डाइट में कटहल का शामिल होना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। आपको बता दें कि कटहल में डाइटरी फाइबर पाया जाता है डाइजेशन को अच्छे से करने में मदद करता है और साथ ही इसमें कैलोरी की मात्रा कम होती है जो वजन कम करने के लिए अच्छा है।

  4. क्या कटहल को रोजाना खाया जा सकता है? (Can I eat jackfruit everyday?)

    एक दिन में 4,700 मिली ग्राम पोटैशियम खाने की सलाह दी जाती है। एक कप कटहल में 739 पोटैशियम मिलता है। जिन लोगों को किडनी की परेशानी है उन लोगों को पोटैशियम का सेवन सही नियमित रूप से करने की जाती है।

कटहल के नुकसान

  • गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को कटहल का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • अधिक मात्रा में कटहल का सेवन अपच और अन्य पेट की समस्याओं का कारण बन सकता है.
  • जो लोग वात की समस्या से पीड़ित है उनको इसके सेवन से बचना चाहिए.
  • कटहल के बाद पान का सेवन ना करें क्योंकि इससे पेट फुल जाता है.
  • पका हुआ कटहल कफवर्धक है इसलिए सर्दी-जुकाम, खांसी आदि रोगों से प्रभावित व्यक्तियों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए.
गर्मियों में सत्तू का सेवन किसी अमृत से कम नहीं, जान लें

गर्मी का मौसम शुरू होते ही लोगो का हाल बेहाल हो जाता है क्योकि कुछ लोग गर्मी सहन नहीं कर पाते और बीमार पड़ जाते है वैसे तो एक शोध के मुताबिक गर्मी के दिनों में सबसे ज्यादा लोग तेज धूप कि वजह से बीमार पड़ने लगते है और इनके बीमार पड़ने कि वजह लू को बताया गया है इन दिनों मसालेदार व तेल कि चीजों का सेवन करने से भी कई लोग बिमार पड़ जाते है, इसलिए हमारे द्वारा बताई गई चीजों का सेवन करने से आप बीमार होने से बच सकते है

आज हम बात कर रहें है सत्तू कि वैसे तो बहुत कम लोग ही सत्तु को जानते है यह भूंनी ज्यों, भुना मटर, और भुना हुआ चना इनके मिश्रण से सत्तू तैयार किया जाता है जिसमे अधिक मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है ये हमारे शरीर के लिए काफी फायेदेमंद होता है जो हमें बीमार पड़ने नहीं देता

सत्तू रखता है हमें कई बीमारियों से दूर

सत्तू रखता है शरीर के तापमान को कंट्रोल

सत्तू का सेवन करते रहने से लू जैसी बिमारी हमें छु भी नहीं सकती क्योकिं सत्तू हमारे शरीर के तापमान को नियंत्रित रखता है सत्तू का इस्तेमाल अधिकतर कई स्थानो पर किया जाता है लेकिन इसके बावजूद इसका सेवन कुछ ही लोग करते है

सत्तू करता है मोटापे को कंट्रोल में

कुछ लोग अपने मोटापे के कारण अधिक परेशान रहते है इसलिए उन्हें सत्तू का सेवन करना चाहिए, सत्तू हल्का होता है तथा इसका सेवन करने से भूंख जल्दी नहीं लगती और तथा यह मोटापा कम करने में कामगार सिद्ध होता है.

डायबिटीज और ब्लड प्रेशर को करता है कंट्रोल

डायबिटीज, बल्ड प्रेशर के मरीजो को भी सत्तू का सेवन करना चाहिए, ब्लड प्रेशर के लोगो को सत्तू में नमक, नींबू और जीरा डालकर खाने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रहता है और डायबिटीज में भी फायेदा करता है.

उल्टी कमजोरी को दूर करने में सहायक

सत्तू का सेवन करने से उबके, उल्टी, व कमजोरी दूर होती है.

इसलिए गर्मियों में सत्तू जरुर पीना चाहिए

सत्तू बनाने की विधि

गर्मियाें के लिए काफी अच्छा रहता है सत्तू का शरबत। हमने आज सत्तू के शरबत बनाए है ये टेस्टी के साथ हेल्दी होते है।

आवश्यक सामग्री

  • चने- 2 कप भुने हुए
  • जौ का दलिया- 1 कप
  • गेंहू का दलिया- 1 कप भूना हुआ
  • चीनी का पाउडर- 1/2 कप
  • काला नमक- 1/2 टी स्पून
  • नींबू का रस - 2
  • नमक- 1/4 टी स्पून
  • जीरा- 1/4 टी स्पून
  • हरी मिर्च- 1 बारीक कटी हुई
  • पुदीने की पत्तियां

विधि

चने का सत्तू

सत्तू बनाने के लिए सबसे पहले 2 कप भुने हुए चने ले लीजिए और अगर चने छिलके वाले है तो चनो को फटक कर छिलको को अलग कर दीजिए। भुने  हुए चनो का मिक्सर में डाल कर बारीक पीस लीजिए। चने के पाउडर को निकाल कर अच्छे से छान लीजिए

1 कप जौ के दलिया को मध्यम आंच पर हल्का ब्राउन होने तक चलाते हुए भून लीजिए दलिया के भुन जाने के बाद उसे एक प्लेट में ठंड़ा होने रख दीजिए व ठंड़ा हो जाने के बाद दलिया को मिक्सर में डाल कर बारीक पीस लीजिए।

1 कप भुना हुआ गेंहू का दलिया ले लीजिए और उसे मिक्सर में बारीक पीस लीजिए।इन सभी सत्तू को आप किसी एयर टाईट क्न्टेनर में रख कर 1 से 2 महीने तक आराम से इस्तेमाल कर सकते है

मीठा सत्तू

मीठा सत्तू बनाने के लिए 1/2 कप चने का सत्तू किसी बर्तन में निकाल लीजिए अब सत्तू में थोड़ा सा पानी मिला कर उसका चिकना घोल बना लीजिए अब इस घोल में 2 बड़े चम्मच चीनी का पाउडर डाल कर अच्छे से मिला लीजिए इतने सत्तू के घोल को बनाने में 5 टेबल स्पेन पानी लगा हैं।

सत्तू का मीठा शरबत

सत्तू का मीठा शरबत बनाने के लिए एक कटोरे में 1/2 कप सत्तू में थोड़ा सा पानी डाल कर सत्तू का चिकना घोल बना लीजिए अब इस घोल में 2 बडे़ चम्मच चीनी का पाउडर डाल कर अच्छे से मिला लीजिए अब इस घोल में एक चुटकी काला नमक, 1/2 नींबू का रस और 1.5 कप पानी डाल कर अच्छे से मिला दीजिए। सत्तू का मीठा शरबत तैयार हैं।

सत्तू का नमकीन शरबत

सत्तू का नमकीन शरबत बनाने के लिए 1/2 कप चने का सत्तू ले लीजिए और उसमें थोड़ा सा पानी डाल कर चिकना घोल बना लीजिए अब इस घोल में 1/4 छोटा चम्मच सफेद नमक, 1/4 छोटी चम्मच काला नमक, 1/4 छोटी चम्म्च जीरा पाउडर, 1 बारीक कटी हुई हरी मिर्च,1/2 नींबू का रस, 1.5 कप पानी और थोड़ी सी पूदीने की पत्तियां डाल कर मिक्स कर लीजिए। अब सत्तू को एक गिलास में पलट लीजिए और उपर से एक-दो पुदीने की पत्ती रख दीजिए। आप का नमकीन सत्तू शरबत तैयार हैं।

जौ का मीठा सत्तू

जौ का मीठा सत्तू बनाने के लिए एक प्याले में 1/2 कप जौ का सत्तू ले लीजिए और उसमें थोड़ा सा पानी डाल कर चिकना घोल बना लीजिए अब इस घोल में 2 छोटी चम्मच चीनी पाउडर, 1 चुटकी काला नमक,1/2 नींबू का रस और एक कप पानी डाल कर मिक्स कर के एक गिलास में निकाल लीजिए। आप का जौ का मीठा सत्तू तैयार है।

गेंहू का शरबत

गेंहू का शरबत बनानें लिए एक बर्तन में 1/2 कप गेंहू का सत्तू निकाल लीजिए और थोड़ा सा पानी डाल कर एक चिकना घोल बना लीजिए, अब घोल में 2 छोटे चम्म्च चीनी पाउडर, 1/2 नींबू का रख, एक चुटकी काला नमक और एक कप पानी डाल कर अच्छे से मिला लीजिए अब शरबत को एक गिलास में निकाल लीजिए शरबत सर्व करने को तैयार है।

सुझाव

जौ के सत्तू के लिए आप साबुत जौ या जौ का दलिया भी इस्तेमाल कर सकते हैं

आप चाहें तो नमकीन सत्तू में हरी मिर्च को स्कीप भी कर सकते है

आप अपने स्वादानुसार शरबत में नमक- चीनी ले सकते है

जानिए सत्तू के यह 7 बेमिसाल फायदे

क्या आपने कभी सत्तू खाया है ? गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन कई स्थानों पर किया जाता है। खास तौर से यूपी व बिहार में सत्तू काफी प्रसिद्ध है जहां इसके स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। सत्तू को इतना पसंद किए जाने का कारण सिर्फ इसका स्वाद ही नहीं बल्कि सेहत से जुड़े यह अनमोल फायदे भी हैं।

जानिए सत्तू के यह बेमिसाल फायदे -

1 गर्मी के दिनों में सत्तू का सेवन करना आपको गर्मी के दुष्प्रभाव एवं लू की चपेट से बचाता है। सत्तू का प्रयोग करने से लू लगने का खतरा कम होता है क्योंकि यह शरीर में ठंडक पैदा करता है।

2 अगर आपको बार-बार भूख लगती है या फिर आप लंबे समय तक भूखे नहीं रह सकते, तो सत्तू आपके लिए लाभदायक है। इसे खाने या फिर इसका शर्बत पीने के बाद लंबे समय तक आपको भूख का एहसास नहीं होगा।

3 सत्तू प्रोटीन का बढ़िया स्त्रोत है और य‍ह पेट की गड़बड़ियों को भी ठीक करता है। इसे खाने से लिवर मजबूत होता है और एसिडिटी की समस्या दूर होती है अ और आसानी से पचने के कारण कब्जियत भी नहीं होती।

4 जौ और चने से बनाया गया सत्तू डाइबिटीज में फायदेमंद है। अगर आप डाइबिटीज के मरीज हैं तो रोजाना इस सत्तू का प्रयोग आपके लिए फायदेमंद है। इसे पानी में घोलकर शर्बत के रूप में या फिर नमकीन बनाकर भी लिया जा सकता है।

5 शरीर में ऊर्जा की कमी होने पर सत्तू तुरंत ऊर्जा देने का कार्य करता है। यह कमजोरी को दूर कर आपको ऊर्जावान बनाए रखने में कारगर है। इसमें कई तरी के पोषक तत्व भी मौजूद होते हैं जो पोषण देते हैं।

6 मोटापे से परेशान लोगों के लिए सत्तू एक रामबाण उपाय है। जौ से बना सत्तू प्रतिदिन खाने से पाचन तंत्र भी सुचारु रूप से कार्य करता है और मोटापा कम होकर आप छरहरी काया पा सकते हैं।

7 ब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए सत्तू का सेवन काफी लाभदायक होता है। इसके लिए सत्तू में नींबू, नमक, जीरा और पानी मिलाकर सेवन करना चाहिए।

हर तरह की कमजोरी को दूर भगाता है महुआ, जाने इसके आयुर्वेदिक लाभ

आपने महुआ के फूल और फल के बारे में तो सुना ही होगा, ये खाने में जितना स्वादिष्ट और सुगंधित होता है उतना ही इसमें औषधीय गुण समाहित होते है। इस पेड़ के पत्तों से पत्‍तल बनाए जाते हैं, वहीं इसकी लकड़ियों को घर की इमारत बनाने में इस्‍तेमाल किया जाता है। कई राज्‍यों में तो महुआ के रस से शराब भी बनाई जाती है और घरों में इसके तेल से खाना बनाया जाता है।

इस पेड़ के पत्ते, छाल, फूल और बीज की गिरी सभी औषधीय रुप से समाहित होती है और इनका इस्‍तेमाल कई चीजों में किया जाता है। महुआ का इस्‍तेमाल अलग-अलग तरीके से कई रोगों की दवा के रुप में किया जाता है। आइए जानते है इसके गुणों के बारे में।

दाग धब्‍बे हटाएं : अगर आपको दाग धब्बे हो गए हो तो महुए के छाल का काढ़ा बनाकर इसे शरीर में दाग और धब्बे के ऊपर लगाने से दाग धब्बे दूर हो जाते हैं।

जोड़ों के दर्द को दूर करता है : अगर आप खतरनाक जोड़ों के दर्द से पीड़ित हैंं तो महुआ के लेप का इस्तेमाल करना न भूलें, बस इसके लिए आप महुआ को पीस कर उसका लेप जोड़ों में लगाएं इससे जोड़ों के दर्द से निजात पा सकेंगे।

सिर दर्द दूर करें : सिरदर्द के ल‍िए आप महुए के तेल को अपने माथे में लगाएं। इससे सिर दर्द से बहुत ही जल्द सिर दर्द से आप छुटकारा पा सकेंगे।

सांप काटने पर : महुआ के बीज को पीसकर काटे हुए स्‍थान पर तथा आंखों के दोनों कोरों पर लगाने से विष का असर कम हो जाता है।

सूजन कम करता है : यदि आपके शरीर में कहीं भी सूजन आ गई हो तो महुआ को पीसकर उसका लेप लगाएं इससे सूजन चली जाती है और काफी आराम मिलता है। इसलिए कभी भी आपको कहीं भी सूजन आए तो महुआ का इस्तेमाल करें।

वीर्य बढ़ाए : महुआ पुरुषों के ल‍िए भी काफी फायदेमंद होता है। महुए के पत्तों को पानी में उबालकर सिंकाई करने से अंडकोष की सूजन ठीक हो जाता है | महुए के फूलों का सेवन करने से वीर्य वृद्धि होती है |

हीमोग्‍लोबिन बढ़ाता है : महुआ में मौजूद तत्व शरीर में हीमोग्लोबिन को भी बढ़ाते हैं, यह शरीर को अच्छी तरह से ऊर्जा प्रदान करने में सक्षम हैं। इससे आपके शरीर को अच्छी-खासी कैलोरी मिल जाती है और आप आसानी से अपने शरीर और बॉडी को उर्जा देकर मजबूती पा सकते हैं।

दांत संबधी समस्याओं को करता है दूर : अगर आपके दांत हिलते हैं या दांतों से बदबू आती है तो महुए की लकड़ी से दातून करें। इससे आपके दांतों का हिलना बंद हो जाएगा। साथ ही यह आपके दांतों की बद्बू को भी दूर करेगा।

बुखार : अगर किसी को बुखार है तो महुए के फूल का अच्छी तरह से काढ़ा बना लें और बुखार के दौरान दिन में 3 बार इसे पियें। 2 दिन के भीतर आपका बुखार गायब हो जाएगा।

hindi.boldsky.com

खूबकला के चमत्कारी औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ

*खूब कला क्या है ?*

*खूबकला एक आयुर्वेदिक औषधि है जिसका विभिन्न रोगों से मुक्ति पाने में विशेष योगदान है। देखने में यह सरसों के बीज के समान होती है परन्तु आकर में सरसों के बीज सेका फीबारीक होती है। खूबकला को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे- खाकसी, खाकसीर, जंगली सरसों, बनारसी राई इत्यादि। इस का एक अंग्रेजी नाम लन्दन रॉकेट भी है।सरसो जैसे ही दिखने वाले यह बीज स्वाद में कुछ तीखा पन लिए होते हैं। इन की तासीर गर्म  होती है।*

*खूबकला यूं तो एक यूनानी चिकित्सा पद्धिति का नाम है परंतु यह एक औषधि भी है। आयुर्वेद के क्षेत्र में खूबकला या खाकसी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। चेचक, खसरा, मोतीझरा, ज्वर, खांसी, बवासीर, ज़ुकाम इत्यादि रोगों में खूबकलाका प्रयोग विशेष रूप से किया जाता रहा है।भारत वर्ष में आज भी इसआयुर्वेदिक औषधि का उपयोग घरेलू उपचार के रूप में किया जाता है। और परिणामस्वरूप इसको बहुत कारगर पाया गया है। कितने ही रोगी इसके सेवन से लाभान्वित होते रहे हैं।*

*खूबकला के चमत्कारी फायदे*

*खूबकला टॉय फाइड उपचार में: मोतीझरा, मियादी बुखार या टॉयफाइड जैसे रोगों में इसका विशेष रूप से प्रयोग किया जाता है। 4 -5 मुनक़्क़ा के बीज निकाल कर उस पर खूबकला अच्छे सेल पेट लें फिर इसको गर्म तवे पर सेंक कर रोगी को रोज़ खिलाने से आराम मिलता है। यदि लंबे समय से ज्वर न जा रहा हो या बार-बार लौट कर आ रहा हो तो उसके लिये भी ये उपाय लाभकारी है। इसके अतिरिक्त पानी अथवा दूध में पका कर पिलाने से भी लाभ मिलता है।*

*चेचक के इलाज में: चेचक या खसरा रोगों का इलाज भी खूब कला से किया जाता है।खूब कला के बीज को पानी में देर तक पकाकर काढ़ा बनाकर रोगी को पिलाया जाता है।और इसके बीज को रोगी के बिस्तर पर बिखेर देने से इस रोग के रोगाणुओ को फैलने से बचाया जा सकता है और रोगी को आराम भी मिलता है।*

*दमा के इलाज में: दमा, खांसी अथवा सामान्य बुखार में भी खूबकला या खाकसी से लाभ मिलता है।यह कफकी समस्या को दूर कर रोगी को आराम पहुंचाता है। 2-5 ग्राम मात्रा में खूबकला लेकर मुनक़्क़ा, मकोह, सौंफऔर उन्नाब के साथ पानी में मिलाकर देर तक पकाकर पीने से ज़ुकाम व कफ में आराम मिलता है।*

*कफ का इलाज खूब कला से : यह कफ के कारण उत्पन्न होने वाली सभी समस्याओं को दूर करता है।*

*खूबकला कमजोरी दूर करने के लिए: खूबकला की 2 ग्राम मात्रा को दूध में पकाकर पीने से कमज़ोरी दूर होती है।*

*खूबकला बवासीर के इलाज में: बवासीर के उपचार में भी इसका विशेष योगदान है। यदि खूबकला का पाउडर 5 ग्राम मात्रा में दिन में दो बार तीन सप्ताह तक पानी या दूध के साथ सेवन करें तो इस रोग की पीड़ा से मुक्ति मिलती है।*

*हैज़ा के इलाज में: खूबकला का प्रयोग पेट संबंधी रोगों के इलाज के लिए भी किया जाता है।यदि किसी व्यक्ति को हैज़ा हो जाये तो गुलाब जल के साथ इस का सेवन करने से लाभ मिलता है।और दस्त की स्थिति में कासनी की पत्तियों के साथ इसके बीज का सेवन किया जाता है।*

*बच्चों का शारीरिक विकास में: सूखा अथवा कुपोषण जैसे रोगों में इसका उपयोग :- कई बार शिशु सूखा या सूखिया जैसे रोगों का शिकार हो जाते इसको कुपोषण भी कहा जाता है।ऐसे में बच्चों का शारीरिक विकास रुक जाता है और शरीर अत्यंत दुर्बल व सूखने लगता है। इस रोग से मुक्ति पाने के लिए खूबकला एक अच्छी औषधि है। इसके लिये 50 ग्राम खूबकला को आधा लिटर बकरी के दूध में खूब अच्छी तरह पकालें फिर इसको किसी बारीक छलनी या कपड़े की मदद से छान लें खूबकला के बीज को छान कर छाया में सुखा लें। जब बीज अच्छी तरह सूख जाएँ फिर से यही प्रक्रिया दो हराइये।इसी प्रकार जब तीसरी बार में बीज अच्छी तरह सूख जाएँ तो इनको बारीक पीसकर रख लीजिये। और प्रतिदिन 2 ग्राम पाउडर दूध में मिलाकर बच्चे को पिलाने से सूखा रोग से छुट कारा मिल जाता है और शिशु फिर  से हष्ट-पुष्ट होने लगता है।*

*सूजन कम करने में: खूबकला का प्रयोग लेप के रूप में भी किया जाता है।यदि शरीर के किसी हिस्से पर सूजन या दर्द हो तो इसके बीज का लेप लगाया जाता है।*

*खूबकला के पोषण तत्व: खूबकला के न केवल बीज अपितु इस औषधि के पत्तों का भी विभिन्न रोगों के उपचार में प्रयोग किया जाता है। इसके पत्तों में प्रोटीन, विभिन्न विटामिन, खनिज (जैसे- केल्शियमवफॉस्फोरसआदि), फाइबर व कार्बोहाइड्रेट भी पाए जाते हैं। इसके पत्तों का प्रयोग सलाद के रूप में भी किया जाता है।*

*खूबकला की सावधानी: खूबकलाकी तासीर गर्म होने के कारण गर्भवती महिलाओं को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिये*

*निरोगी रहने हेतु महामन्त्र*

*मन्त्र 1 :-*

*• भोजन व पानी के सेवन प्राकृतिक नियमानुसार करें*

*• ‎रिफाइन्ड नमक,रिफाइन्ड तेल,रिफाइन्ड शक्कर (चीनी) वरिफाइन्ड आटा ( मैदा ) का सेवन न करें*

*• ‎विकारों को पन पने न दें (काम,क्रोध, लोभ,मोह,इर्ष्या,)*

*• ‎वेगो को न रोकें ( मल, मुत्र, प्यास, जंभाई, हंसी, अश्रु, वीर्य, अपानवायु, भूख, छींक, डकार, वमन, नींद,)*

*• ‎एल्मुनियम बर्तन का उपयोग न करें ( मिट्टी के सर्वोत्तम)*

*• ‎मोटे अनाज व छिलके वाली दालों का अत्यद्धिक सेवन करें*

*• ‎भगवान में श्रद्धा व विश्वास रखें*

*मन्त्र 2 :-*

*• पथ्य भोजन ही करें ( जंक फूड न खाएं)*

*• ‎भोजन को पचने दें ( भोजन करते समय पानी न पीयें एक या दो घुट भोजन के बाद जरूर पिये व डेढ़ घण्टे बाद पानी जरूर पिये)*

*• ‎सुबह उठेते ही 2 से 3 गिलास गुन गुने पानी का सेवन कर शौचक्रिया को जाये*

*• ‎ठंडा पानी बर्फ के पानी का सेवन न करें*

*• ‎पानी हमेशा बैठकर घुट घुट कर पिये*

*• ‎बार बार भोजन न करें आर्थत एक भोजन पूर्णतः पचने के बाद ही दूसरा भोजन करें*

खूबकला खरीदने के लिए क्लिक करें

रूम हीटर का करते हैं इस्तेमाल तो राखे खास ध्यान

स्किन को अच्छे से क्लीन करे और मॉश्चुराइज करें।

रूम हीटर का इस्तेमाल करते है तो रूम में हवा का रास्ता बनाये रखें जिससे ऑक्सीजन की कमी न होने पाए और बर्तन में पानी भरकर रखते हीटर चलने पर जिससे रूम में नमी कम न होने पाये खूब पानी पिए नही तो डिहाइड्रेशन ही सकती है।